Shiva-Parvati Ki Lokkathayen

· Prabhat Prakashan
5.0
1 รีวิว
eBook
99
หน้า

เกี่ยวกับ eBook เล่มนี้

शिव ऐसे देवता हैं, जो वैदिक संस्कृति से लेकर आज तक अपनी विशिष्ट पहचान के साथ आस्था के केंद्र बने हुए हैं। ऋग्वेद में 'देव' शब्द प्रकाशमान के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। शिव देवाधिदेव महादेव हैं। उन्हें शास्त्र और लोक में अत्यंत आदर और आत्मीयता के साथ पूजा जाता रहा है। भारतीय संस्कृति एक ओर दिव्यता को प्रणाम करती रही है तो दूसरी ओर सहज-सरल व्यक्तित्व के फक्कड़ स्वभाव वाले शिव के भोलेपन पर रीझती रही है। उनका अशिव वेश और उनके अशिव वेशधारी संगी-साथी व अनुचरों की भी पूजा होती है। भागीरथी गंगा को सिर पर धारण करनेवाले पार्वती के पति परमेश्वर के प्रति लोकमन न्योछावर होता रहा है; अपनी श्रद्धा को गीतों और कथाओं में अभिव्यक्ति देता रहा है। 

ये कथाएँ आराध्य और आराधक के बीच की निकटता एवं अमिट विश्वास का सजीव उदाहरण हैं। ये कथाएँ शास्त्र और लोक के अभेद तथा अभिन्न स्थिति की सशक्त प्रमाण हैं। लोक का शिव भाव इन कथाओं का मर्म है। वर्तमान और भावी पीढ़ियाँ इस मंगलभाव से जुड़ी रहें, यही इन कथाओं की प्रस्तुति का लक्ष्य है। 

การให้คะแนนและรีวิว

5.0
1 รีวิว

ให้คะแนน eBook นี้

แสดงความเห็นของคุณให้เรารับรู้

ข้อมูลในการอ่าน

สมาร์ทโฟนและแท็บเล็ต
ติดตั้งแอป Google Play Books สำหรับ Android และ iPad/iPhone แอปจะซิงค์โดยอัตโนมัติกับบัญชีของคุณ และช่วยให้คุณอ่านแบบออนไลน์หรือออฟไลน์ได้ทุกที่
แล็ปท็อปและคอมพิวเตอร์
คุณฟังหนังสือเสียงที่ซื้อจาก Google Play โดยใช้เว็บเบราว์เซอร์ในคอมพิวเตอร์ได้
eReader และอุปกรณ์อื่นๆ
หากต้องการอ่านบนอุปกรณ์ e-ink เช่น Kobo eReader คุณจะต้องดาวน์โหลดและโอนไฟล์ไปยังอุปกรณ์ของคุณ โปรดทำตามวิธีการอย่างละเอียดในศูนย์ช่วยเหลือเพื่อโอนไฟล์ไปยัง eReader ที่รองรับ