ये कथाएँ आराध्य और आराधक के बीच की निकटता एवं अमिट विश्वास का सजीव उदाहरण हैं। ये कथाएँ शास्त्र और लोक के अभेद तथा अभिन्न स्थिति की सशक्त प्रमाण हैं। लोक का शिव भाव इन कथाओं का मर्म है। वर्तमान और भावी पीढ़ियाँ इस मंगलभाव से जुड़ी रहें, यही इन कथाओं की प्रस्तुति का लक्ष्य है।