किसान के बेटे की देश के सबसे बेहतरीन आई.पी.एस. अफ़सरों में से एक बनने की कहानी। कहानी उस शख़्स की, जिसके पास कभी एक वक्त की चाय के भी पैसे नही थे, कैसे वो भारतीय स्टार्ट-अप इंडस्ट्री का चेहरा बन दौलत और शोहरत के शिखर पर पहुँचा। कैसे मुल्तान के एक छोटे से गांव की गलियों से निकल कर एक लड़के ने देश के लिए दो बार ओलम्पिक मेड़ल हासिल किया। पाँच साल की उम्र में दुकानदारी संभालने वाले शख़्स ने कैसे अमेरिका की सबसे कामयाब कंपनियों में से एक स्थापित की। इन तमाम सवालों का जवाब है वो समानता जो इन सब के बीच थी... हौंसला। जी हाँ, अभावों में जीने वाले कामयाबी की उन बुलंदियों पर पहुँचे कि आज पूरे देश को इन पर नाज़ है... क्योंकि सफलता साधन नहीं मांगती, सफलता मांगती है संघर्ष...। इस किताब में उन पाँच शख़्सियतों की मेहनत और लगन को बयान किया गया है... जिन्होंने ख्वाबों में नहीं बल्कि असल ज़िंदगी में कामयाबी की उड़ान भरी है।
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