Upanyas Ka Samajshastra

· Vani Prakashan
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साहित्य का मुख्य सरोकार मनुष्य होता है, मनुष्य का सामाजिक जगत, उस जगत के प्रति उसकी अनुकूलता तथा उसे बदलने की इच्छा साहित्य में व्यक्त होती है। उपन्यास औद्योगिक समाज की प्रमुख साहित्यिक विधा है। अतः उसमें मनुष्य का जीवन, परिवार, राजनीति एवं शासन के साथ सम्बन्ध तथा सामाजिक जगत के पुनः सृजन का ईमानदार प्रयास दिखाई देता है। उपन्यास उन्हीं समस्याओं से रूबरू होता है जिनसे समाजशास्त्र लेकिन उपन्यास सिर्फ वस्तुगत वर्णन नहीं करता बल्कि वह सामाजिक जीवन में गहरे उत्तर कर मनुष्य के आन्तरिक सत्यों का, मानवीय चरित्र का उद्घाटन करता है। इस पुस्तक में उपन्यास के समाजशास्त्र का सैद्धान्तिक और व्यावहारिक पक्ष मुकम्मल ढंग से उभारने के लिए सैद्धान्तिक से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण आलेख लिए गये हैं, जिनमें जार्ज लुकाच, राल्फ़ फाक्स, ल्युसिए गोल्डमान और एलेन स्विंगवुड के अलावा अज्ञेय, नामवर सिंह, निर्मल वर्मा और मैनेजर पाण्डेय शामिल हैं। पुस्तक के इस नवीन संस्करण में बहुत से बदलाव किये गये हैं और हिन्दी से आगे जाकर भारतीय औपन्यासिक परिदृश्य को समेटने के ईमानदार प्रयास के अनन्तर भोलाभाई पटेल, तनिका सरकार, पूरनचन्द्र जोशी, नामवर सिंह, प्रदीप सक्सेना, नित्यानन्द तिवारी, राजेन्द्र यादव के आलेख संकलित हैं। उपन्यास का समाजशास्त्र समझने की दिशा में यह पुस्तक अपनी उपादेयता में अनूठी है।

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जे एन यू के भारतीय भाषा केन्द्र में बतौर प्रोफ़ेसर कार्यरत, स्त्रीवादी चिन्तक प्रो. गरिमा श्रीवास्तव किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। साहित्य और समाजविज्ञान की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित इनका शोधपरक लेखन गम्भीर अध्येताओं का ध्यान अलग से आकर्षित करता है। प्रो. गरिमा श्रीवास्तव ने युद्ध और युद्ध के बाद की स्थितियों को स्त्रीवादी नज़रिये से देखने का जो प्रयास किया है वह हिन्दी भाषा एवं साहित्य की दुनिया में विरल है। इन्होंने दुनिया भर में हुए युद्ध को देखने और समझने के लिए एक अलग सैद्धान्तिकी विकसित की है जिसके अनुसार युद्ध भने पृथ्वी के किसी ख़ास भूभाग पर लड़ा जाता हो लेकिन अन्ततः वह घटित होता है स्त्री की देह पर।


उनकी प्रकाशित पुस्तकें हैं आप एक प्रेम कथा (उपन्यास) (20029), हिन्दी नवजागरण इतिहास, गल्प और स्वी- प्रश्न (2023), चुप्पियाँ और दरारें (200123), देह ही देश (यात्रा डायरी) (2018), किशोरीलाल गोस्वामी (2016), झूठ का येता क्रोएशिया की लोक कथाएँ (2013), लाता श्रीनिवासदास (2007), भाषा और भाषा विज्ञान (2006), 'ऐ लड़की' में नारी चेतना (2003), आशु अनुवाद (2003), हिन्दी उपन्यासों में वीद्धिक विमर्श (1999)|


सम्पादित पुस्तकें : उपन्यास का समाजशास्त्र (2023), हरदेवी की यात्रा (2023), ज़ख़्म, फूल और नमक (2017), हृदयहारिणी (2015), लवंगलता (2015), वामाशिक्षक (2008), आधुनिक हिन्दी कहानियाँ (2004), आधुनिक हिन्दी निबन्ध (2004), हिन्दी नवजागरण और स्त्री श्रृंखला में सात पुस्तकें (2019 ) : 1. महिला मृदुवाणी, 2. स्त्री समस्या, 3. हिन्दी की महिला साहित्यकार, 4. हिन्दी काव्य की कलामयी तारिकाएँ, 5. स्त्री- दर्पण, 6. हिन्दी काव्य की कोकिलाएँ, 7. स्त्री कवि संग्रह।


अनूदित पुस्तकें : ए वैरी ईज़ी डेथ (सिमोन द बोउवार), ब्राज़ीली कहानियाँ (संग्रह)।

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